करतार सिंह सराभा
“वीर मृत्यु से कभी न डरते,
हँस कर गले लगाते हैं,
फूलों की कोमल शैय्या समझ,
सूली पर सो जाते हैं।“
● करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई, 1896 को पंजाब के लुधियाना ज़िले के 'सराबा' नामक ग्राम में हुआ। ● उनके पिता का नाम मंगल सिंह था।
● सराभा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लुधियाना में ही प्राप्त की थी। नवीं कक्षा पास करने के पश्चात् वे अपने चाचा के पास उड़ीसा चले गए और वहीं से हाई स्कूल की परीक्षा पास की।
● भगत सिंह सहित कई क्रांतिकारी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा, जिन्होंने उन्हें अपने ‘गुरु’ के रूप में संदर्भित किया, करतार सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान अपने लिए किसी भी वकील को मना कर दिया था।
● वर्ष 1905 के 'बंगाल विभाजन' के विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन प्रारम्भ हो चुका था, जिससे प्रभावित होकर करतार सिंह सराभा क्रांतिकारियों में सम्मिलित हो गए।
● वर्ष 1905 के 'बंगाल विभाजन' के विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन प्रारम्भ हो चुका था, जिससे प्रभावित होकर करतार सिंह सराभा क्रांतिकारियों में सम्मिलित हो गए।
● वर्ष 1913 में गदर आंदोलन का जन्म हुआ, तो करतार सिंह एक प्रमुख सदस्य बन गए।
● 21 अप्रैल, 1913 को ओरेगॉन में भारतीयों द्वारा गदर पार्टी का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से बाहर करना था।
● करतार सिंह सराभा पर हत्या, डाका, शासन को उलटने का अभियोग लगाकर 'लाहौर षड्यन्त्र' के नाम से मुकदमा चलाया गया। उनके साथ 63 दूसरे आदमियों पर भी मुकदमा चलाया गया था।
● 21 अप्रैल, 1913 को ओरेगॉन में भारतीयों द्वारा गदर पार्टी का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से बाहर करना था।
● करतार सिंह सराभा पर हत्या, डाका, शासन को उलटने का अभियोग लगाकर 'लाहौर षड्यन्त्र' के नाम से मुकदमा चलाया गया। उनके साथ 63 दूसरे आदमियों पर भी मुकदमा चलाया गया था।
● न्यायाधीश ने उन्हे "सभी विद्रोहियों में सबसे खतरनाक" घोषित किया और कहा कि चूँकि उसे अपने द्वारा किए गए अपराधों पर बहुत गर्व है, इसलिए वह किसी दया का पात्र नहीं है और उसे मौत की सजा दी जानी चाहिए।
● 16 नवंबर, 1915 को करतार सिंह सराभा अपने होठों पर मुस्कान और आँखों में चमक लिए और अपने द्वारा रचित देशभक्ति के गीत गाते हुए फाँसी पर चढ़ गए।
● 16 नवंबर, 1915 को करतार सिंह सराभा अपने होठों पर मुस्कान और आँखों में चमक लिए और अपने द्वारा रचित देशभक्ति के गीत गाते हुए फाँसी पर चढ़ गए।